शेखर कपूर: भारतीय सिनेमा के विश्वस्तरीय निर्देशक
शेखर कपूर भारतीय फिल्म उद्योग के एक प्रतिष्ठित नाम हैं। हाल ही में उन्होंने भारत के 55वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) का सफलतापूर्वकसमापन किया, जहाँ वे इस महोत्सव के निदेशक थे। उनकी कुशलता और दृष्टिकोण ने इस महोत्सव को अद्भुत और अत्यधिक सफल बनाया।
प्रस्तावना
शेखर कपूर भारतीय फिल्म उद्योग के उन प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों में से एक हैं, जिन्होंने अपने अद्वितीय दृष्टिकोण और कहानी कहने की कला सेन केवल भारत में नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। आज, 6 दिसंबर 1945, उनका जन्मदिन है। इस विशेष अवसर पर, हम उनके जीवन, करियर और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
6 दिसंबर 1945 को ब्रिटिश भारत के लाहौर (अब पाकिस्तान) में जन्मे शेखर कपूर एक शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हैं।उनके पिता, डॉ. कुलभूषण कपूर, एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे, और उनकी मां, शील कांता कपूर, बॉलीवुड के प्रख्यात अभिनेता देव आनंद वनिर्देशक चेतन आनंद और विजय आनंद की बहन थीं।
शेखर कपूर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से प्राप्त की और सेंट स्टीफन कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। इसके बाद, उन्होंने इंग्लैंड में चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई की और एक बहुराष्ट्रीय तेल कंपनी में काम किया। लेकिन, उनका रुझान सिनेमा की ओर था, औरउन्होंने भारत लौटकर फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।
सिनेमा की दुनिया में कदम
निर्देशक के रूप में
शेखर कपूर ने 1983 में "मासूम" फिल्म से निर्देशन की शुरुआत की, जो एक दिल छू लेने वाली कहानी थी। इसके बाद, 1987 में उन्होंने "मिस्टरइंडिया" बनाई, जो भारतीय सिनेमा की सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक मानी जाती है।
1994 में उनकी फिल्म "बैंडिट क्वीन", जो फूलन देवी के जीवन पर आधारित थी, ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता हासिल की।यह फिल्म 1995 में ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि भी बनी।
अंतर्राष्ट्रीय सफलता
1998 में, शेखर कपूर ने "एलिज़ाबेथ" बनाई, जो ब्रिटेन की रानी एलिज़ाबेथ प्रथम के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म को सात अकादमीपुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया, और इसे वैश्विक स्तर पर सराहा गया। इसके बाद, उन्होंने इसका सीक्वल "एलिज़ाबेथ: द गोल्डनएज" (2007) भी बनाया।
अन्य योगदान
अभिनेता के रूप में
शेखर कपूर ने अभिनय के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया। उनकी पहली फिल्म "इश्क इश्क " (1974) थी। इसके अलावा, उन्होंने 2013 में "विश्वरूपम" में एक रॉ एजेंट की भूमिका निभाई।
निर्माता के रूप में
शेखर कपूर ने कई फिल्मों और प्रोजेक्ट्स में कार्यकारी निर्माता के रूप में योगदान दिया। इनमें प्रमुख हैं:
टेलीविज़न करियर
शेखर कपूर ने टेलीविज़न में भी अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
व्यक्तिगत जीवन
शेखर कपूर का निजी जीवन भी चर्चा का विषय रहा। उन्होंने 1980 के दशक में मेधा गुजराल से शादी की, लेकिन 1994 में तलाक ले लिया।1999 में उन्होंने अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ति से शादी की, जिनसे उनकी एक बेटी कावेरी है। यह शादी भी 2007 में समाप्त हो गई।
आने वाले प्रोजेक्ट्स
हाल ही में शेखर कपूर ने घोषणा की है कि वह अपनी सुपरहिट फिल्म "मासूम" का दूसरा भाग बनाने जा रहे हैं। यह खबर उनके प्रशंसकों केलिए बेहद उत्साहजनक है।
निष्कर्ष
शेखर कपूर ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक मंच पर नई पहचान दी है। उनकी फिल्मों की गहराई, विषय की विविधता और निर्देशन की शैली उन्हेंएक अनूठा फिल्म निर्माता बनाती है। हम उन्हें उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं और आशा करते हैं कि वह आगे भी सिनेमा कीदुनिया में अपने अमूल्य योगदान से हमें प्रेरित करते रहेंगे।